नित्य गीता स्वाध्याय
प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से
अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
अन्ये च बहव:
शूरा मदर्थे त्यक्तजीविता:
।
नानाशस्त्रप्रहरणा:
सर्वे युद्धविशारदा: ॥
शब्दार्थ
अन्ये - अन्य सब;
च - भी; बहव:
- अनेक; शूरा: - वीर; मत्-अर्थे - मेरे लिए;
त्यक्त-जीविता: - जीवन का
उत्सर्ग करने वाले;
नाना - अनेक; शस्त्र - आयुध;
प्रहरणा: - से युक्त,
सुसज्जित; सर्वे - सभी; युद्ध-विशारदा: - युद्धविद्या में
निपुण।
अनुवाद
ऐसे अन्य अनेक
वीर भी हैं
जो मेरे लिए
अपना जीवन त्याग
करने के लिए
उद्यत हैं। वे
विविध प्रकार के
हथियारों से सुसज्जित
हैं और युद्धविद्या
में निपुण हैं।
तात्पर्य
जहाँ तक अन्यों
का - यथा जयद्रथ,
कृतवर्मा तथा शल्य
का सम्बन्ध है
वे सब दुर्योधन
के लिए अपने
प्राणों की आहुति
देने के लिए
तैयार रहते थे।
दूसरे शब्दों में,
यह पूर्वनिश्चित है
कि वे अब
पापी दुर्योधन के
दल में सम्मिलित
होने के कारण
कुरुक्षेत्र के युद्ध
में मारे जायेंगे।
निस्सन्देह अपने मित्रों
की संयुक्त-शक्ति
के कारण दुर्योधन
अपनी विजय के
प्रति आश्वस्त था।
स्रोत
"भगवद्-गीता यथारूप"
सम्पूर्ण विश्व में भगवद्-गीता का सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा प्रामाणिक संस्करण
✒ लेखक
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
आधुनिक युग में विश्वव्यापक हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रणेता तथा वैदिक ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक
प्रेषक : वेदान्त-विज्ञानम्
"एवं परम्पराप्राप्तम्"
- गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त परम विज्ञान
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