नित्य गीता स्वाध्याय
प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से
अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 8
भवान्भीष्मश्च
कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जय: ।
अश्वत्थामा
विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥
शब्दार्थ
भवान् - आप; भीष्म:
- भीष्म पितामह; च - भी;
कर्ण: - कर्ण; च - और;
कृप: - कृपाचार्य;
च - तथा; समितिञ्जय:
- सदा संग्राम-विजयी;
अश्वत्थामा - अश्वत्थामा;
विकर्ण: - विकर्ण; च - तथा;
सौमदत्ति: - सोमदत्त का पुत्र;
तथा - भी; एव
- निश्चय
ही; च - भी।
अनुवाद
मेरी सेना में
स्वयं आप, भीष्म,
कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा,
विकर्ण तथा सोमदत्त
का पुत्र भूरिश्रवा
आदि हैं जो
युद्ध में सदैव
विजयी रहे हैं।
स्रोत
"भगवद्-गीता यथारूप"
सम्पूर्ण विश्व में भगवद्-गीता का सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा प्रामाणिक संस्करण
✒ लेखक
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
आधुनिक युग में विश्वव्यापक हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रणेता तथा वैदिक ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक
प्रेषक : वेदान्त-विज्ञानम्
"एवं परम्पराप्राप्तम्" - गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त परम विज्ञान
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