Sunday, 5 January 2020

गीता स्वाध्याय अध्याय एक - श्लोक 8


नित्य गीता स्वाध्याय

प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से

अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

श्लोक 8

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जय:
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव

शब्दार्थ

भवान् - आप; भीष्म: - भीष्म पितामह; - भी; कर्ण: - कर्ण; - और; कृप: -  कृपाचार्य; - तथा; समितिञ्जय: - सदा संग्राम-विजयी; अश्वत्थामाअश्वत्थामा; विकर्ण: - विकर्ण; - तथा; सौमदत्ति: - सोमदत्त का पुत्र; तथा - भी; एवनिश्चय ही; - भी।

अनुवाद


मेरी सेना में स्वयं आप, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं।

स्रोत
"भगवद्-गीता यथारूप"
सम्पूर्ण विश्व में भगवद्-गीता का सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा प्रामाणिक संस्करण

✒ लेखक
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
आधुनिक युग में विश्वव्यापक हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रणेता तथा वैदिक ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक
प्रेषक : वेदान्त-विज्ञानम्
"एवं परम्पराप्राप्तम्" - गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त परम विज्ञान

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