Saturday, 11 January 2020

गीता स्वाध्याय अध्याय एक - श्लोक 13


नित्य गीता स्वाध्याय

प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से
अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

श्लोक 13

तत: शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखा:
सहसैवाभ्यहन्यन्त शब्दस्तुमुलोऽभवत्

शब्दार्थ
तत: - तत्पश्चात्; शङ्खा: - शंख; - भी; भेर्य: - बड़े-बड़े ढोल, नगाड़े; - तथा; पणव-आनक - ढोल तथा मृदंग; गो-मुखा: - शृंग; सहसा - अचानक; एव - निश्चय ही; अभ्यहन्यन्त - एकसाथ बजाये गए; : - वह; शब्द: - समवेत स्वर; तुमुल: -  कोलाहलपूर्ण; अभवत् - हो गया।

अनुवाद
तत्पश्चात् शंख, नगाड़े, बिगुल, तुरही तथा सींग सहसा एकसाथ बज उठे। वह समवेत स्वर अत्यन्त कोलाहलपूर्ण था।

स्रोत
"भगवद्-गीता यथारूप"
सम्पूर्ण विश्व में भगवद्-गीता का सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा प्रामाणिक संस्करण

✒ लेखक
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
आधुनिक युग में विश्वव्यापक हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रणेता तथा वैदिक ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक
प्रेषक : वेदान्त-विज्ञानम्
"एवं परम्पराप्राप्तम्" - गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त परम विज्ञान

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