Thursday, 5 September 2019

गीता स्वाध्याय अध्याय एक - श्लोक 4


नित्य गीता स्वाध्याय

प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से

अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण

श्लोक 4
                            
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथ:

शब्दार्थ

अत्र - यहाँ; शूरा: - वीर; महा-इषु-आसा: - महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन - भीम तथा अर्जुन; समा: - के समान; युधि - युद्ध में; युयुधान: - युयुधान; विराट: - विराट; - भी; द्रुपद: - द्रुपद; - भी; महा-रथ: - महान योद्धा।

अनुवाद

इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद।

तात्पर्य

यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टद्युम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था। दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था। उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है।

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