नित्य गीता स्वाध्याय
प्रतिदिन एक श्लोक श्रीमद्-भगवद्-गीता यथारूप से
अध्याय एक - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 7
अस्माकं तु विशिष्टा
ये तान्निबोध द्विजोत्तम
।
नायका मम सैन्यस्य
संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥
शब्दार्थ
अस्माकम् -
हमारे; तु - लेकिन;
विशिष्टा: - विशेष शक्तिशाली; ये
- जो; तान् - उनको;
निबोध - जरा जान
लीजिये, जानकारी प्राप्त कर
लें; द्विज-उत्तम
- हे ब्राह्मणश्रेष्ठ; नायका:
- सेनापति, कप्तान; मम - मेरी;
सैन्यस्य - सेना के;
संज्ञाअर्थम् - सूचना के लिए;
तान् - उन्हें; ब्रवीमि - बता
रहा हूँ; ते
- आपको।
अनुवाद
किन्तु हे ब्राह्मणश्रेष्ठ!
आपकी सूचना के
लिए मैं अपनी
सेना के उन
नायकों के विषय
में बताना चाहूँगा
जो मेरी सेना
को संचालित करने
में विशेष रूप
से निपुण हैं।
स्रोत
"भगवद्-गीता यथारूप"
सम्पूर्ण विश्व में भगवद्-गीता का सर्वाधिक प्रसिद्ध तथा प्रामाणिक संस्करण
✒ लेखक
कृष्णकृपामूर्ति श्री श्रीमद्
ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद
आधुनिक युग में विश्वव्यापक हरे कृष्ण आन्दोलन के प्रणेता तथा वैदिक ज्ञान के अद्वितीय प्रचारक
प्रेषक : वेदान्त-विज्ञानम्
"एवं परम्पराप्राप्तम्"
- गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त परम विज्ञान